Sunday, March 27, 2011

ऐ ख़ुशी


ऐ ख़ुशी तू है कहाँ
मेरे ख्वाब में
मेरी चाह में
या जिंदगी की राह में
इन्तहां है इंतज़ार की
बेचैन दिल के पुकार की
.तड़पा न मुझे ऐसे
एक बार आ भी जा तू
हालत तो देख मेरी
कितना बदल गया हूँ
कहते हैं लोग सारे
मैं गम का मारा हूँ
जीत कर जिंदगी से
मैं खुद से हारा हूँ
आया है वो भी दिन, जब मैं
लोगों से घिरा हूँ
चार कन्धों के लिए
जाने कब से परा हूँ
लो, अब उठ रही है मेरी मैयत
मैं दुनियां से जा रहा हूँ
मगर खुश हूँ ऐ ख़ुशी
के तेरे करीब आ रहा हूँ
"मगर खुश हूँ ऐ ख़ुशी
के तेरे करीब आ रहा हूँ"


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