Friday, February 25, 2011

एहसास


एहसास जो कागज़ पर उतरते चले गए
अरमान जो अश्कों में बहते चले गए
हम रोक सके उन्हें खुदा का वास्ता देकर
और वो दिल को हमारे रौंदते चले गए
शिकवा नहीं उनसे शिकायत भी क्या करें
वो अपने थे मगर गैर होते चले गए
क्या आलम था उस पल का ये कैसे बयाँ करें
चुप रह गए हम और वो कहते चले गए


Monday, February 21, 2011

मैं क्या करती हूँ



ये किस उम्मीद पर जी रही हूँ मैं
किसके वास्ते यहाँ खरी हूँ मैं
कौन है जो पुकारता है मुझे
किसकी आवाज पर थम गई हूँ मैं
क्यों रोकता है बार-बार उसका प्यार मुझे 
क्यों एहसास बनकर उतर गया है रूह में मेरी
क्यों चाहती है आँखें दीदार उसका
क्यों ख्यालों में उसके गुम हो गयी हूँ मै
ढूंढ़ती हूँ खुद को या उसकी  तलाश करती हूँ
 जानेमै जिंदगी के हर पल में क्या करती हूँ
जवाब ढूंढ़ती हूँ अपने सवालों का
या जवाबों में सवाल धुध्ती हूँ
अजीब उलझनओ के बीच ये जिंदगी खरी है
और मै इन्ही उलझनओ के बीच,
जिंदगी तलाश करती हूँ
कभी दूर से तो कभी करीब से,
मैं उस वक़्त को देखा करती हूँ
जब तुमने पूछा था
"मैं सुबह से रात तक क्या करती हूँ"

Tuesday, February 8, 2011

बेरुखी


लोग हमसे इतने खफा क्यों हैं
नज़रों को हमसे गिला क्यों है
कल तक तो सब साथ थे अपने
आज सब हमसे जुदा क्यों हैं
क्यों बदल लिया हवाओं ने रुख अपना
हर शख्स लगता बेवफा क्यों है
मांगते रहे जिसे दुआओं में हम
वो किसी और का आइना क्यों है
भटकती रूह अब तक है जिसके लिए
वो किसी और की दास्ताँ क्यों है