Sunday, March 27, 2011

ऐ ख़ुशी


ऐ ख़ुशी तू है कहाँ
मेरे ख्वाब में
मेरी चाह में
या जिंदगी की राह में
इन्तहां है इंतज़ार की
बेचैन दिल के पुकार की
.तड़पा न मुझे ऐसे
एक बार आ भी जा तू
हालत तो देख मेरी
कितना बदल गया हूँ
कहते हैं लोग सारे
मैं गम का मारा हूँ
जीत कर जिंदगी से
मैं खुद से हारा हूँ
आया है वो भी दिन, जब मैं
लोगों से घिरा हूँ
चार कन्धों के लिए
जाने कब से परा हूँ
लो, अब उठ रही है मेरी मैयत
मैं दुनियां से जा रहा हूँ
मगर खुश हूँ ऐ ख़ुशी
के तेरे करीब आ रहा हूँ
"मगर खुश हूँ ऐ ख़ुशी
के तेरे करीब आ रहा हूँ"


Sunday, March 13, 2011

इंतज़ार


आज इंतज़ार था
पता नहीं, दिल को क्यों ये ऐतबार था
आएगा वो या उसका कोई पैगाम
इसी वजह से दिल हर पल बेचैन बेकरार था
बेताब धड़कने, बेचैन साँसें 
कभी दिल में उठती दर्द की आँहें
दिल का हर जख्म आज हो चूका गहरा था
और हर घरी राहों पर इन आँखों का पहरा था
खुली खुली सी नज़र
जिसमे तस्वीर उसकी थी
एक अनकही, अनजानी सी तहरीर उसकी थी
नहीं जानते ये एसास का गुलिस्तान किसका था
पर हाँ, दिन गुजर गया मगर वो नहीं आया
मुझे "इंतज़ार" जिसका था........

उड़ान


मैं दिन भर यूँ हीं सोचती रहती हूँ
लोग कहते हैं मैं पागल हूँ
होती हैं बिखरी जुल्फें
नज़र भी बेपरवाह
एक टक देखती रहती हूँ
समझ से लोग की बाहर मेरी "उड़ान"
जिसे देख कर जलते हैं सब
जाने क्यों
जाने क्यों मेरी तमन्नाओं का फैलाव इतना है
के  समेत लेता है मुझे एक हीं बिंदु पर
सहेज कर रखता है मेरी हसरतों को ऐसे
जैसे शीप बारिश की बूंदों को.............