Tuesday, October 18, 2011

तुम


सुनो ना..........
अक्सर कहा करते थे तुम
कुछ बोलोगी नहीं..........  बोलो
अक्सर पूछा करते थे तुम
मेरे गुस्से पे भी तुम्हें 
प्यार  जाता था
मेरी नाराजगी भी सह लेते थे तुम
मेरा रूठना जो तुमसे गवारा  था
मासूम बच्चे की तरह 
मना  लेते थे तुम
 जाते जो मेरी आँखों में आंसूं
तो साथ मेरे रो देते थे तुम
मेरे साथ बारिशों में अक्सर 
अक्सर भींग लेते थे तुम

तुम जो हर रोज सताते थे मुझे
तुम जो हर रोज मनाते थे मुझे
तुम जो हर रोज मिलने की चाह रखते थे
तुम जो हर रोज बुलाते थे मुझे
तुम जो हर रोज भूल जाते थे
तुम जो हर रोज बहलाते थे मुझे
तुम जो हर रोज दिल दुखाते थे
तुम जो हर रोज जताते थे मुझे

तुम्हारी तमन्ना
तुम्हारी ख्वाहिश थी 
जो मेरे साथ साथ चलते थे
चाहते थे साथ आना मेरे
और हर दिन रास्ते भी बदलते थे
कभी इज़हार.....  
तो कभी इकरार किया करते थे
जब जो दिल में आता 
वही हर बार किया करते थे
कभी मेरी बातें
बड़े गौर से सुना करते थे
तो कभी......
मेरी खामोशी भी समेट लिया करते थे
कभी तो मेरी हर बात मान लेते थे
तो कभी अपनी जीद में
मुझे भूल जाया करते थे

छुपाने की कोशिश में
कितनी बार बताया करते थे
हँसाने की कोशिश में
हर बार रुलाया करते थे

तुमने सोचा है कभी
क्यों मै दूर जाया करती हूँ ?
तुमने सोचा है कभी
क्यों रास्ते बदलती हूँ ?
तुमने सोचा है कभी
क्या चीज़ है ये दोस्ती ?
तुमने सोचा है कभी
क्यों मै साथ चला करती हूँ ?
तुमने सोचा है कभी
क्यों हार जाते हो ?
तुमने सोचा है कभी
क्यों मान नहीं पाते हो ?

बोलो.............. सोचा है कभी ?

सवाल पहाड़ से खड़े होते हैं
तुम्हारे दिल में भी
जवाब ढूंढते हो तुम भी
पागलों की तरह
हर बार उस खुदा से मांग लेते हो
दुआओं में  मुझको मन्नतों  की तरह

हर बार एक कोशिश तुम्हारी
प्यार से प्यार को पाने की
मगर क्या तुम जानते हो ?
जिस प्यार से तुम मुझे पाना चाहते हो 
तुम्हारे  उसी प्यार ने
मुझे दूर कर दिया तुमसे

No comments:

Post a Comment