सपनो का महल जो बन ही रहा था
रौनकें जिसकी संवर ही रही थी
जो था मेरे दिल के अरमानों का घर
उसी पर तो सबकी निगाहें टिकी थीं
फ़ना कर दिया इसके वजूद को उसने
कभी जिसने इसकी कहानी लिखी थी
जिसे हमने आज गुज़रा कल है बताया
हम ख़ुद भी न समझे
उसकी हक़ीक़त ही क्या थी
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