मुझे यकीन है... तुम दूर चले जाओगे
और गुजरे वक़्त की मानिंद... नहीं आओगे
जैसे तोड़ी थी तुमने... मेरी कसम एक दिन
किया हर वादा भी... एक दिन यूँ तोड़ जाओगे
कहा था झूठ तुमने... छू कर भी मुझे
बताओ अब... कैसे यकीं दिलाओगे
किया है तुमने रुशवा... हर राह मुझे
खुदी से पूछ लो... कहूँगी मैं... तो रूठ जाओगे
मेरे सवाल ना करने से... यूँ नाराज ना हो
जवाब "दूरियाँ" होंगी... तो टूट जाओगे
चाहोगे दिल दुखाना... ये भी मुमकीन है
और आँखों में ले के अश्क... फिर मनाओगे
वो एक बात... अक्सर जिसे "जिद" कहते हो
सांस है मेरी... तुम तोड़ नहीं पाओगे
उसका गम भी अजीज है मुझे... खुशियों की तरह
मगर ये बात... कहाँ तुम समझ पाओगे
हर दिन करोगे यूँ हीं... तमन्ना मेरी
और यूँ हीं फासले बढाओगे
तेरी फितरत से वाकिफ है... ये दिल ऐ "दोस्त"
मेरा शम्मा- ए- दिल... हर रोज तुम जलाओगे
मुझे यकीन है... तुम दूर चले जाओगे
और गुजरे वक़्त की मानिंद
................................. नहीं आओगे
मुझे यकीन है..................